नयी दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित रहने के लिये विपक्षी दलों ने सत्तापक्ष को दोषी ठहराया है। उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में सोमवार को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुयी। इसमें कार्यवाही बाधित करने को लेकर सदन में स्थिति स्पष्ट करने पर चर्चा हुयी। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा उच्च सदन में पेश किए जाने वाले तीन तलाक संबंधी विधेयक पर विपक्ष की रणनीति तय करने के लिये हुयी इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस सदस्य डेरेक ओ ब्रायन, सपा के रामगोपाल यादव, राजद के मनोज झा और आप के संजय सिंह सहित अन्य दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद ब्रायन ने कहा कि शीतकालीन सत्र के शुरूआती 11 दिनों में राज्यसभा में औसतन 16 मिनट प्रतिदिन काम हुआ। उन्होंने अन्नाद्रमुक का नाम लिये बिना कहा कि भाजपा के तमिल सहयोगी दल सदन की बैठक 11 बजे शुरू होने के दस मिनट बाद आसन के समीप जाकर नारेबाजी शुरू कर देते हैं। ब्रायन ने सदन की बैठक दिन भर के लिये स्थगित करने पर तंज कसते हुये कहा ‘‘हंगामा शुरू होते ही सदन की बैठक दो बजे तक के लिये नहीं बल्कि दिन भर के लिये स्थगित कर दी जाती है।’’ उच्च सदन में आज शून्यकाल शुरू होते ही अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर कावेरी मुद्दे पर नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर आजाद ने उपसभापति हरिवंश से अनुरोध किया ‘‘यह शोर हमारे हिस्से न डाला जाये। यह सरकार और अन्नाद्रमुक के बीच का मामला है। इसमें विपक्ष शामिल नहीं है।’’ आजाद ने कहा कि विपक्ष के सभी दल सदन की बैठक को सुचारु रूप से चलने देने के पक्षधर हैं। उन्होंने सत्तापक्ष पर सदन की कार्यवाही नहीं चलने देने का आरोप लगाया।