नई दिल्ली देश-विदेश में रह रहे राजस्थान के के मूल नागरिकों को अपनेवतन-माटी से जोडऩे के मकसद से चुरू ज़िले के सुजानगढ़ कस्बे़ में सुजानगढ क्षेत्रीय नागरिक समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सुजानगढ़ महोत्सव *सुक्षेम* 2018 के तहत अप्रवासी एवं प्रवासी वैचारिक संवाद में भविष्य की योजनाओं का खाका तय किया गया। इसके बाद कला, नृत्य और संगीत से सराबोर संध्या में कला साधकों ने दर्षकों को रोमांचित कर दिया।
बॉलीवुड में सुजानवुड का जलवा
सुजानगढ़ नागरिक परिषद समिति के अध्यक्ष के सी मालू ने कहा कि बॉलीवुड में सुजानवुड भी है जिसमें सुजानगढ़ के कला साधकों ने यहां अपने घरों को ताले लगाकर परिश्रम किया और वहां अपनी अमिट पहचान कायम करते हुए एक सुजानवुड निर्मित किया है। इसके बाद गीत संगीत की महफिल का शुभारंभ 72 वर्षीय चरण गिरधर चांद के कथक नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति से हुआ, उन्होंने भगवान कृष्ण और राधा की लीलाआें पर आधारित ठुमरी पर ताल मिलाई। महोत्सव में पहली बार संगीत और गायन में महारथ प्राप्त जमाल सेन परिवार की चार पीढ़ियों ने एक साथ मंच पर अपने सुर और ताल से लोगों को भाव विभोर कर दिया।दिलीप सेन, समीर सेन और ललित सेन ने खनखनाती धुन पर अफलातून मैं हूं अफलातून……… गीत गाकर ऐसा समां बांधा कि आयोजन स्थल के बाहर खडे लोगों की तालियां भी पांडाल के भीतर सुनाई देने लगी। खास बात यह है कि दिलीप सेन को लंदन में प्राईड ऑफ इंडिया के सम्मान से शाहरूख खान से भी पहले नवाजा गया था। साथ ही राजस्थान की स्वर कोकिला सीमा मिश्रा ने राजस्थानी गीत पेश किया और सरोज खींची ने शानदार राजस्थानी नृत्य पेश कर शाम को यादगार बना दिया। सुजानगढ़ समारोह के मौके पर अविस्मर्णीय योगदान के लिए दानदाता और भामाशाह के बतौर प्रतिष्ठित श्रीमती शायर हीरालाल मालू का विशष स्वागत और अभिनंदन किया गया।
सुजानगढ में लगा संगीतकारों का मेला, पिता पुत्रों की जुगलबंदी ने जमाया रंग
भामाशाहों की नगरी के नाम से विख्यात सुजानगढ़ में सुजानगढ़ महोत्सव के दौरानगीतकार और संगीतकारों के बेटों ने भी मंच पर संगत कर महोत्सव में शिरकत कर रहे लोगों के रोमांच को दोगुना कर दिया। महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक संध्या का आगाज सुजानगढ़ नागरिक परिषद समिति के अध्यक्ष के सी मालू ने करते हुए गीतकारों और संगीतकारों का परिचय व सम्मान किया। इसके बाद पंडित भवदीप जयपुरवाले द्वारा गाईए गणपति जगवदंन…. भजन ने सुजानगढ़ के हजारों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद पंडित सुदीप जयपुरवाले ने मोहम्मद रफी का फिल्मी गीत तुम जो मिल गए हो…. पेश किया। इस मौके पर सुजानगढ के लोग पहली बार एक अद्भुत लम्हे के साक्षी बने जिसमें दीपक पंडित ने हारमोनियम पर साज छेड़ा और उनके दोनो पुत्रों निहार पंडित और समीर पंडित ने मंच पर शास्त्रीय तान छेड़कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके तुरंत बाद दीपक पंडित ने अपने वॉयलिन पर बांसुरी के सुर तानकर लोगों को हैरत में डाल दिया। उनके के साज पर रफ्ता रफ्ता तालियां बजती रही। इस मौके पर लोगों को पहली बार निहार पंडित का परिचय कराते हुए सुजानगढ़ नागरिक परिषद समिति के अध्यक्ष के सी मालू ने बताया कि निहार ने कच्ची उम्र में ही सितारों के जहान में अपनी जगह बनाई और स्लमडाग मिलेनियर में ए आर रहमान के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन में जिंगल गुनगुनाकर मील के पत्थर कायम कर सुजानगढ का सीना गर्व से चौडा कर दिया। गीतकारों और संगीतकारों की सांस्कृतिक संध्या के दौरान राकेश पंडित ने छाप तिलक सब छीनी, मोसे नैना मिलाएके…. के सुर ने तो लोगों को साथ गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। इस कार्यक्रम को आगे बढाते हुए स्नेहा शंकर ने दमादम मस्त कलंदर…. और पंडित रामशकर का यारों सब दुआ करो….. गीत गाकर सुजानगढ़ महोत्सव को यादगार बना दिया। आलम यह था कि लोग समारोह देखने को उमड रहे थे और बाहर बेसब्र जनता ने गुनगुनाती ठंडक में विशाल एलईडी स्क्रीन पर पूरे कार्यक्र्रम का लुत्फ उठाया। समारोह के साक्षी बने लोगों की मांग थी कि इस प्रकार के कार्यक्रम को परंपरा के बतौर निभाया जाना चाहिए।
आ सुजानगढ लौट चलें
सुजानगढ़ महोत्सव के मौके पर प्रवासी और अप्रवासी वैचारिक मंथन के दौरान सुजानगढ के आधारभूत विकास के मुद्द पर प्रमुखता से चर्चा करते हुए क्षेत्रीय नागरिक समिति व महोत्सव आयोजन समिति के सदस्यों ने अप्रवासियों को घर लौटने का निवेदन किया। इस संगठित बैठक में दिल्ली से मांगीलाल सेठिया, बैंगलोर से सुशील चौरडिया, मुम्बई से अब्दुल हमीद भाटी, सविता राठी आदि सम्मिलित हुए। इस संवाद मंथन की अध्यक्षता वीणा म्युजिक के संस्थापक व सुजानगढ नागरिक परिषद समिति के अध्यक्ष के सी मालू ने की। इस महोत्सव के आयोजन और सफलता में वीणा संगीत समूह के हेमजीत मालू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुजानगढ़ महोत्सव में छाए बॉलीवुड के रंग
राजस्थान की संस्कृति यहां की वेशभूषा ही नहीं लोक संगीत और जीवन में दिखाई देती है। हमारी इसी बहुरंगी संस्कृति को मंच देने के लिए सुजानगढ़ महोत्सव का आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में राजस्थान की विविधता, संगीत, कला और रंगों की सांस्कृतिक जुगलबंदी पर एक वीणा कैसेट के संस्थापक और सुजानगढ़ नागरिक परिषद समिति के अध्यक्ष के सी मालू निर्देशित एक लघु फिल्म प्रस्तुत की गई। खास बात यह रही कि इस समारोह में बालीवुड में अपनी पहचान कायम कर चुके ख्यातनाम गीतकार, संगीतकार ही नही सुजानगढ़ के दर्जनों अप्रवासियो ने भी शिरकत की।
आपणो सुजानगढ़ सुजानगढ़ महोत्सव की शुरूआत करते हुए सुजानगढ़ नागरिक परिषद समिति के अध्यक्ष के सी मालू ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान स्किल डेवलपमेंट विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ललित के पंवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे आज भी दिल से कलाकार हैं। उन्होंने आपणो सुजानगढ़ की भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि हम में से कई लोग प्रवासी हो गए और आपसी पहचान भूल गए हैं और आज 50 साल बाद एक दूसरे को पहचानने व जानने की कवायद कर रहे हैं।
सुजानगढ़ को स्वतंत्रता संग्राम में सहभागिता, दुनियां में नाम कमाने सहित संस्कृति की जो पहचान दी है उसे इस मंच के जरिए याद करने का मौका मिला है। उन्होंने बताया किआज सुजानगढ़ के कलाकार बॉलीवुड में धूम मचा रहे हैं और उनकी कई पीढ़ियों ने संगीत, लेखन, कला और साज सहित अपनी आवाज से एक पहचान बनाई है और यह महोत्सव उनसे रूबरू होने की पहली पहल है जिसे हम परंपरा या प्रथा बनाना चाहते हैं। इस मौके पर पूर्व मंत्री एवं विधायक खेमाराम मेघवाल, चूरू के सांसद राजेंद्र कस्बा, पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल, गोपालपुरा सरपंच सविता राठी, सुजानगढ़ क्षेत्रीय नागरिक समिति के महामंत्री भागीरथ चांडक और सुजानगढ़ क्षेत्रीय नागरिक समिति के संयोजक राजेंद्र दाधीच आदि मंच पर मौजूद थे। समारोह के दौरान सुजानगढ़ क्षेत्रीय नागरिक समिति के महामंत्री भागीरथ चांडक ने कहा कि समिति की विकास यात्रा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सुजानगढ़ के लोग पूरी दुनियां में फैल गए लेकिन बिखरना एक चुनौती बन गई है लिहाजा लोगों को जोड़ने संपर्क कायम करने के लिए के सी मालू जी के सहयोग से मुहिम चलाई गई और सुजानगढ़ महोत्सव की परिकल्पना की गई। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मुलाकात से दूरियां कम होगी और हम किसी भी विपत्ति में भी अपने सुजानगढ़ के लोगों को मजबूत कर पाएंगे साथ ही सुजानगढ़ की प्रतिष्ठा को एक सूत्र में पिरोकर संगठित होने का मार्ग प्रषस्त कर सकते हैं।
इस मौके पर देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्ती भूमिका का निर्वाह करने वालेस्वर्गीय बनवारी लाल बेदी, स्वर्गीय गिरीष चंद्र मिश्र, स्वर्गीय फूलचंद जैन और हीरालाल शर्मा जी के अप्रतिम योगदान को याद किया गया और उनके परिवार के सदस्यों ने सम्मान प्राप्त किया। साथ ही पद्मश्री हनुमान बक्स कंदोई और पद्मश्री कन्हैया लाल सेठिया के योगदान और उपलब्धि को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बगडिया परिवार, सागर मल जाजोदिया परिवार, चिमनीराम जाजोदिया परिवार, सत्यनारायण खेतान और सेठिया परिवार को उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया व दामोदर लाल मूंदडा और शुभकरण दसानी के परिवार को भी स्मृति चिन्ह देकर प्रतिष्ठित किया गया।