प्रदूषण में सुधार, हवा अब भी खराब

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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बुधवार रात हुई बारिश के बाद वातावरण में छाए प्रदूषण के स्तर में तेजी से गिरावट आई है। इसके बावजूद हवा खराब ही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक वीरवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्तर 217 रहा, जो कि ‘खराब’ श्रेणी में आता है। पड़ोसी शहर गाजियाबाद का स्तर 264, फरीदाबाद का स्तर 266, नोएडा का स्तर 229, ग्रेटर नोएडा का स्तर 236 व गुरुग्राम का स्तर 162 रहा। बोर्ड द्वारा जारी देशभर के बड़े शहरों पर आधारित रिपोर्ट में सिर्फ पटियाला में स्वच्छ सांस लेने वाली हवा है, यहां एक्यूआई स्तर 40 रहा। दिल्ली में दीपावली के बाद ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणियों के बीच हवा की गुणवत्ता घटती-बढ़ती रही है। मौसम विज्ञान संस्थान के मुताबिक पीएम 2.5 सांद्रता में अगले दो दिनों में सुधार आएगा। पर्यावरणविदों का कहना है कि थोड़ी-बहुत बारिश से दिल्ली के वायु प्रदूषण में कमी आई है, यदि एक-दो दिनों में तेजी से और देर तक बारिश हो तो हालात और बेहतर हो सकते हैं।

स्कूली बच्चों से वायु प्रदूषण पर अध्ययन करेगा एम्स  
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में दमे से ग्रस्त स्कूली बच्चों को कलाई पर पहने जा सकने वाले सेंसर देगा, जो उनके आसपास के वायु प्रदूषण पर लगातार नजर रखेंगे। एम्स के सहायक प्रोफेसर डॉ. करन मदान ने कहा कि ये प्रदूषण सेंसर हल्के हैं और कमर पर भी आसानी से पहने जा सकने वाले हैं। ये पूरे दिन आसपास के वायु प्रदूषण पर जरूरी जानकारी संग्रहित करेंगे।

बच्चों को एक सप्ताह के लिए दिए जाएंगे सेंसर
आईआईटी-दिल्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन व चेन्नई के श्री रामचंद्र विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कराए जा रहे अध्ययन के तहत बच्चों को एक सप्ताह के लिए ये सेंसर दिए जाएंगे। मदान ने कहा कि ये उच्च गुणवत्ता वाले सेंसर हमें इस बारे में जानकारी देंगे कि कोई बच्चा स्कूल में, रास्ते में या घर पर कितने वायु प्रदूषण के संपर्क में आता है। इससे हमें उनके स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर का पता लगाने में मदद मिलेगी। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार अगर जरूरी हुआ तो सेंसर को लंबी अवधि के लिए भी बच्चों के साथ रखा जा सकता है।

मैकेनिकल उपकरण से दूर होगा कचरा
बागवानी विभाग ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के क्षेत्रों में पार्कों के रख-रखाव नर्सरियों और हरित कचरा प्रबंधन केंद्रों में बड़े पैमाने पर मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। स्थायी समिति की अध्यक्ष शिखा राय ने वीरवार को ग्रेटर कैलाश-1 की एक नर्सरी में मैकेनिकल उपकरणों के उपयोग कार्य का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक श्रेरडर चिपर मशीन, लीफ पिकर मशीन, हैज ट्रिमर प्रबंधन केंद्रों में भी इन मशीनों का इस्तेमाल उपयोगी सिद्ध होगा। इस दौरान बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. आलोक सिंह भी मौजूद रहे। लीफ पिकर मशीनें तेजी से पार्कों और सड़कों से पŸो अपने भीतर एकत्रित कर लेती हंै और इन्हेें आधुनिक श्रेरडर-चिपर मशीनों में डाल कर कुछ मिनट में महीन बना दिया जाता है। महीन बनाए गए पश्रों का तुरंत क्यारियों में डाल कर खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। पहले चरण में 10 नई लीफ पिकर मशीनें और 10 नई आधुनिक श्रेरडर मशीनें प्राप्त की जा रही है जिनमें से कुल 14 मशीनें प्राप्त कर ली गई है। बागवानी विभाग ने 40 लोन मूवर मशीनें, 40 चैन सॉ मशीनें, 60 ब्रश कटर मशीनें, 40 हैज कटर मशीनें, 35 पोल परूनर मशीनें, 8 लीफ पिकर मशीनें और 8 आधुनिक श्रेरडर-चिपर मशीनें चारों जोन में वितरित कर दी है।

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