महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में मराठा आरक्षण, सूखे का मुद्दा उठने की संभावना

0

मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल के सोमवार से शुरू हो रहे दो सप्ताह लंबे शीतकालीन सत्र में मराठा आरक्षण पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट और 151 तालुकों में सूखे का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है। शीतकालीन सत्र 57 साल बाद मुंबई में हो रहा है। इसमें केवल आठ कामकाजी दिन होंगे और यह 30 नवंबर को खत्म होगा। अभी इस पर फैसला नहीं लिया गया है कि 23 नवंबर को गुरु नानक जयंती पर सदन की कार्यवाही चलेगी या नहीं। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठा आरक्षण पर अपनी 200 पृष्ठों की रिपोर्ट गुरुवार को सौंप दी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने बाद में कहा कि इस संबंध में सभी वैधानिक औपचारिकताएं 15 दिनों में पूरी कर ली जाएंगी। सूत्रों ने बताया कि बहरहाल इस पर फैसला नहीं लिया गया है कि रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश किया जाएगा या नहीं। मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान अगस्त में फड़णवीस ने टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा था कि जब आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप देगा तो समुदाय को आरक्षण देने के संबंध में ‘‘कानून या प्रस्ताव’’ पारित करने के लिए एक महीने के भीतर राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। राज्य के कई हिस्सों में सूखे का मुद्दा भी विधानसभा और विधान परिषद में छाया रह सकता है। विपक्ष ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर हमलावर रुख अपनाया हुआ है। मोदी ने शिरडी में एक रैली में कहा था कि राज्य में 16,000 गांव अब सूखे से मुक्त हो गए हैं। दूसरी ओर, विपक्ष ने आंकड़ों के आधार पर इस बात को गलत साबित करने का दावा किया है। सत्र में बाघिन अवनि को मार डालने का मुद्दा भी गरमा सकता है। इस हत्या पर पशु प्रेमियों और वन्यजीव संगठनों ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। राज्य सरकार ने हत्या की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया। शीतकालीन सत्र में जीएसटी संशोधन, ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने के लिए जाति वैधता और सहकारी आवासीय सोसायटी के संबंध में अन्य संशोधन समेत नौ नए विधेयक पेश किए जाएंगे।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *