नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग किये जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह कहना कि राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त के प्रयास हो रहे थे, सरासर गलत बात है। उन्होंने कहा कि जब तीन बड़ी पार्टियां साथ आ रही हैं तब पैसे की बात कहां से आ गयी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कौन खरीद फरोख्त कर रहा था इसकी जांच होनी चाहिए।
उमर ने कहा कि भाजपा महासचिव राम माधव का यह कहना कि हम पाकिस्तान के इशारों पर चल रहे हैं, एकदम दुर्भाग्यपूर्ण बयान है। अब्दुल्ला ने माधव को चुनौती दी कि यदि उनके पास सबूत हैं तो वह जनता की अदालत में लेकर आयें और साबित करें कि हम पाकिस्तान के इशारों पर चलते हैं। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राम माधव ने यह बयान देकर हम कश्मीरियों और हमारी पार्टी के लोगों की कुर्बानियों को नजरअंदाज किया है। अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि राम माधव जैसे लोग यहां आते हैं, हम पर आरोप लगाते हैं और पतली गली से भाग जाते हैं।
अब्दुल्ला ने राजभवन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी फैक्स मशीन ने लोकतंत्र का गला घोंटा है। उन्होंने कहा कि जब महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए फैक्स भेजना चाहा तो बताया गया कि फैक्स मशीन खराब है। उन्होंने कहा कि यह हैरानी की बात है कि यह फैक्स मशीन इशारे पर खराब हो जाती है और इशारे पर ठीक हो जाती है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का फैसला दिल्ली फैक्स किया होगा तब मशीन ठीक हो गयी। उमर ने कहा कि यह कैसी फैक्स मशीन है जो संदेश प्राप्त नहीं कर सकती लेकिन भेज सकती है। उन्होंने कहा कि यह वनवे ट्रैफिक की तरह है और इस फैक्स मशीन के खराब होने की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल का यह कहना कि दो विरोधी विचारधारा वाली पार्टियां कैसे एक साथ आ सकती हैं, इस पर हमारा यह कहना है कि यह सवाल तो उन्हें 2015 में भाजपा और पीडीपी से पूछना चाहिए था क्योंकि हमारे और पीडीपी के बीच ज्यादा मतभेद नहीं हैं लेकिन भाजपा और पीडीपी तो एकदम विरोधी विचारधारा वाली पार्टियां हैं। उन्होंने कहा कि पीडीपी के साथ जाने से हमें सर्वाधिक नुकसान होता लेकिन हमने जम्मू-कश्मीर की परवाह करते हुए यहां सरकार बनाने का फैसला किया क्योंकि हम भाजपा को सत्ता से दूर रखना चाहते हैं।