भाजपा को फिर से बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं नीतीश कुमार

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अगले साल लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी को बिहार में झटका लग सकता है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने साफ-साफ कह दिया है कि उसे बीजेपी से ज्यादा सीटें चाहिए। पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा है कि बिहार में एनडीए के घटक दलों में उनकी पार्टी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जेडीयू नेता ने यहां तक कह डाला कि अगर बीजेपी को किसी सहयोगी दल की जरूरत नहीं तो वो चाहे तो अकेले चुनाव लड़ सकती है। जेडीयू का कहना है कि 2019 का चुनाव 2014 से अलग होगा और बीजेपी को बिहार में नीतीश के बिना चुनाव लड़ना आसान नहीं। 2014 में बीजेपी और जेडीयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था जिसमें बीजेपी के हिस्से 22 और जेडीयू के खाते में सिर्फ 2 सीटें आईं थीं।

जेडीयू 2015 में हुए विधानसभा चुनाव की दलील दे रही है…पार्टी का कहना है कि विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन बीजेपी के मुकाबले काफी बेहतर था इसलिए अब लोकसभा चुनाव में उसके ज्यादा उम्मीदवार होंगे। बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में जब नीतीश ने लालू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो उनकी पार्टी को 71 सीटें मिलीं थीं…जबकि बीजेपी को 53 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। अब जेडीयू विधानसभा चुनाव में अपने पिछले प्रदर्शन का हवाला देकर लोकसभा में अपने लिए ज्यादा सीटें मांग रही है।
लोकसभा चुनाव में अपने लिए ज्यादा सीट मांग रही जेडीयू ये भी चाहती है कि एनडीए बिहार में नीतीश की अगुवाई में चुनाव लड़े। जेडीयू का तर्क है कि बिहार में नीतीश के कद का कोई और नेता नहीं। बीजेपी की ओर से अभी फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन इतना तय है कि बिहार में उसके लिए नीतीश के साथ सौदा करना आसान नहीं होगा। नीतीश राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं…मौका मिलने पर वो कब किसके साथ जा मिलें कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे नीतीश बीजेपी को कई बार झटका दे चुके हैं…बिहार में लंबे समय तक बीजेपी के साथ सत्ता में रहने वाले नीतीश ने जब एनडीए से नाता तोड़ा था तो किसी को हैरानी नहीं हुई थी। बिहार में बीजेपी का विजयी रथ रोकने के लिए नीतीश सालों पुरानी दुश्मनी भुलाकर लालू से जा मिले। आरजेडी के साथ मिलकर नीतीश ने बिहार की सत्ता तो हासिल कर ली लेकिन दो साल बाद ही उनका लालू से मोहभंग हो गया। और नीतीश सभी को हैरानी में डाल आरजेडी से नाता तोड़ बीजेपी के साथ हो लिए और उसकी मदद से सरकार भी बना ली।

बिहार में सत्ता पर लंबे समय से काबिज नीतीश सीएम की कुर्सी बचाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाने को तैयार रहते हैं। कभी राजनीतिक फायदे के लिए वो मोदी का विरोध करने लगते हैं तो कभी मोदी का गुणगान। पिछले साल जुलाई में महागठबंधन टूटने के बाद फिर से सीएम बने नीतीश ने कहा था कि मोदी को कोई हरा नहीं सकता और 2019 में भी उनकी जीत पक्की है। लेकिन हाल के दिनों में जेडीयू में जिस तरह की गतिविधियां चल रही हैं उससे तो यही लगता है कि नीतीश के मन में कुछ और भी चल रहा है।
आपको याद होगा…महागठबंधन बनाने की पहल सबसे पहले नीतीश ने ही की थी…अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को साधने के लिए नीतीश खुद लालू के पास चलकर गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें हासिल करने के बाद भी आरजेडी नीतीश को सीएम बनाने को तैयार हो गई। लेकिन नीतीश तो नीतीश ठहरे उन्होंने मौका देखते ही आरजेडी को बॉय-बॉय बोल फिर से बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया।

राजनीति में कब दो दुश्मन आपस में दोस्त बन जाएं कोई नहीं कह सकता…लेकिन सवाल उठता है कि अगर सीटों को लेकर बीजेपी से अनबन हुई तो क्या नीतीश फिर से लालू के साथ जा मिलेंगे। पिछले दिनों जब नीतीश ने मुंबई के अस्पताल में लालू को फोन कर उनकी सेहत का जायजा लिया तो इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। लेकिन लालू के दोनों बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप ने साफ-साफ कह दिया है कि कुछ भी हो जाए चाचा नीतीश को दोबारा महागठबंधन में एंट्री नहीं मिलेगी। तेज प्रताप ने तो यहां तक कहा कि जब नीतीश को हमारे घर में नहीं घुसने दिया जाएगा तो फिर महागठबंधन की उनकी एंट्री कैसे संभव है?
आरजेडी की तरफ से भले ही नीतीश के लिए सभी दरवाजे बंद हो गए हों…लेकिन कांग्रेस इसी फिराक में है कि नीतीश किसी भी तरह महागठबंधन में लौट आएं। कांग्रेस नेता शकील अहमद ने इसे लेकर तेज प्रताप को खरी-खोटी भी सुना दी। कांग्रेस ने कहा कि महागठबंधन में कौन रहेगा, कौन नहीं ये फैसला करने वाले तेज प्रताप कौन होते हैं।

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