केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अब नेशनल हेल्थ मिशन के तहत नई एंबुलेंस नहीं खरीदेगा। इसके स्थान पर उबर की तर्ज पर निजी क्षेत्र के एंबुलेंस को इम्पैनल कर उनकी सेवाएं ली जाएंगी और उन्हें प्रति राइड के हिसाब से भुगतान कर दिया जाएगा। एंबुलेंस खरीदने पर होने वाले भारी-भरकम खर्च और इसके बाद उसके संचालन एवं रखरखाव पर होने वाले भारी भरकम खर्च को बचाने के लिए मंत्रालय यह नई योजना बना रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी मनोज झालानी ने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि एंबुलेंस खरीदने और फिर उसके रखरखाव में काफी पैसा खर्च होता है। साथ ही इसमें हमारा काफी समय भी जाता है। अब जब कि इतनी विकसित सूचना प्रौद्योगिकी हमारे बीच मौजूद हम उसका लाभ उठाकर अपने सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं।
झालानी ने कहा कि अब एंबुलेंस को उबर की तर्ज पर अपने साथ इम्पैनल करेंगे और उन्हें प्रति राइड के हिसाब से भुगतान करेंगे। इम्पैनल करते वक्त हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसके पास सभी सुविधाएं मौजूद हों। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में यह प्रयोग सफलतापूर्वक चल रहा है। इसे ही अब हम राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। एम्पॉवर्ड प्रोग्राम कमेटी में इसे लेकर सहमति बन चुकी है। इस व्यवस्था में एंबुलेंस को ऐप के साथ फोन करके या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर बुक कराया जा सकेगा, ताकि जिन क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्ध नहीं हो, वहां भी इन्हें बुक किया जा सके।
सरकार को फायदा
बिना कोई एकमुश्त रकम खर्च किए सरकार के पास एंबुलेंस की पूरी खेप तैयार हो जाएगी। उसे रखरखाव एवं कर्मचारियों के वेतन पर कोई खर्च नहीं करना होगा। भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं रहेगी।
एंबुलेंस मालिकों को फायदा
अभी की तुलना में कहीं ज्यादा मरीजों मिलेंगे, इससे उन्हें अधिक भुगतान मिलेगा। ऐसे निजी अस्पताल भी इसमें शामिल हो सकेंगे जिनके एंबुलेंस कुछ मरीजों को पहुंचाने के बाद दिनभर खाली रहते हैं।
मरीजों को लाभ
मरीजों को आसानी से एंबुलेंस उपलब्ध होगी। सामान्य सरकारी एंबुलेंस की तुलना में क्वालिटी अच्छी होगी। मरीजों को अपनी जेब से कोई भुगतान नहीं करना होगा, उनके स्थान पर सरकार भुगतान करेगी।