अपना दल(एस) का यू−टर्न, अब मोदी से नाराजगी नहीं

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सियासत में समय कभी एक जैसा नहीं रहता है। यह बात बीजेपी से नाराज चल रहे अपना दल (एस) गुट के नेताओं ने साबित कर दी है। कल तक नाराजगी के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम तक में हिस्सा नहीं लेने वाले अपना दल के नेता और केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के राजग को लेकर सुर बदल गये हैं। अपना दल(एस) कपार्टी की संयोजक केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और उनके अध्यक्ष पति आशीष पटेल अपने पूर्व के बयानों से यू टर्न लेते हुए अब कहने लगे हैं कि हमें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से नहीं, उत्तर प्रदेश भाजपा के कर्ताधर्ताओं से शिकायत है। अपना दल (एस) के रूख में बदलाव को अगर सियासी पैमाने पर कसा जाए तो इस दल के नेताओं को इस बात का अहसास हो गया है कि बीजेपी आलाकमान को ब्लैकमेल करना आसान नहीं है। अपना दल (एस) के नेताओं के आंखे दिखाते ही अपना दल (कृष्णा गुट) के नेताओं का बीजेपी के समर्थन में खुलकर बयानबाजी शुरू कर दी तो बीजेपी आलाकमान भी ऐसा दिखाने लगा कि वह स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की पत्नी वाले अपना दल (कृष्णा गुट) के साथ हाथ मिला सकता है। इसके अलावा महाराष्ट्र में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बार−बार मोदी सरकार को आंखे दिखाने वाली शिवसेना को जब यह कहते हुए अर्दल में लिया कि शिवसेना से सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनी तो बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर शिवसेना को हराएगी तो इससे भी यूपी में अपना दल(एस) के विरोधी स्वर ठंडे पड़ने में देरी नहीं लगी। उधर,समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच पहले से ही सीटों के बंटवारे को लेकर जुगलबंदी हो चुकी थी। ऐसे में अपना दल एस के नेताओं के पास कोई विकल्प भी नहीं बचा था। कांगे्रस की यूपी में क्या हालत है यह किसी से छिपा नहीं है।वैसे,कहा यह भी जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल राजग से संबंध बिगाड़ना नहीं चाहती थीं,लेकिन उनके पति आशीष की योगी सरकार में मंत्री बनने की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा पार्टी पर भारी पड़ रही थी। बहरहाल, हवा का रूख भांपते ही पार्टी अध्यक्ष आशीष ने अपनी किरकिरी बचाने के लिये कहना शुरू कर दिया है कि उत्तर प्रदेश भाजपा का एक वर्ग नहीं चाहता कि 2019 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाए। अनुप्रिया और आशीष ने कहा कि हम एनडीए के साथ हैं और रहेंगे लेकिन यदि उप्र बीजेपी के कर्ताधर्ताओं ने आचार व्यवहार नहीं बदला तो हमें फैसला लेना होगा। दोनों ने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को आधारहीन बताया। पिछड़ी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण की वकालत करते हुए सरकार से इसके लिए जातीय जनगणना कराने की मांग की। अनुप्रिया पटेल ने पिछड़ी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण की वकालत करते हुए सरकार से इसके लिए जातीय सेन्सस कराने की मांग की। इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के घर पर उनको शीर्ष पदाधिकारियों के साथ वार्ता भी की।

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