रोहिणी कोर्ट ने कहा कि बिजली चोरी की बुराई उपभोक्ताओं को प्रभावित करती है और सरकारों एवं आपूर्तिकर्ताओं को काफी वित्तीय नुकसान पहुंचता है। अदालत ने कहा कि दोषी को तीन लाख रुपये से अधिक की राशि का जुर्माना भी भुगतान पड़ेगा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह की अदालत बलिराम के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे पहले एक पार्किंग स्थल पर बिजली की सीधे चोरी के लिए विद्युत अधिनियम के प्रावधान के तहत सजा सुनाई गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, बलिराम ने उत्तरी दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में बिजली चोरी की और इसका इस्तेमाल ई-रिक्शा चार्ज करने में किया।
अदालत ने कहा कि बिजली चोरी के कारण सरकार और बिजली आपूर्तिकर्ता कंपनी को बुनियादी ढांचे को बनाए रखने या बिजली उत्पादन में निवेश करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है, जिसके परिणामस्वरूप बिजली की कमी होती है और उपभोक्ताओं को किल्लत झेलनी पड़ती है। मंगोलपुरी थाने में 2017 में बलिराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।