अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस संगोष्ठी-योग चेतना जाग्रत करता है-स्वामी वीरेंद्रानंद

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नौवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर हिंदी भवन, सभागार (दिल्ली) में एंजेल वेलफेयर ट्रस्ट दिल्ली द्वारा “योगश्चित्तवृति निरोध:” विषय पर एक चेतनायुक्त संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की आयोजिका डॉ. मधु के. श्रीवास्तव ने बताया कि गोष्ठी अतिअल्प समय में योगदिवस की महत्ता और अमेरिका में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योग प्रदर्शन कार्यक्रम में भाग लेने की शृंखला में हिमालयन पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज की प्रेरणा से आयोजित किया गया। इस संगोष्ठी में जनचेतना जाग्रत करने के लिए हिमालयन पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज महामंडलेश्वर पंचदशनाम जूना अखाड़ा एवं संस्थापक द एशियन ग्रुप ऑफ स्कूल्स, अपने पिथौरागढ़ स्थित आश्रम से दिल्ली पधारे थे। संगोष्ठी में अपने विचार रखने के लिए जिन प्रबुद्ध नागरिकों को आमंत्रित किया गया था उनमें भारतीय संस्कृति के चिंतक, डॉ. ए.जी.अग्रवाल, डॉ. सतीश चंद्र पांडेय, भारतीय संस्कृति के जानकार, 3 राष्ट्रपतियों के निजी चिकित्सक रहे पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली शामिल थे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ इस दरमियान नई पीढ़ी की उभरती हुई आवाज़ सुश्री साक्षी नें अपने मधुर कंठ से वैदिक श्लोक एवं स्वस्तिवाचन का पाठ किया। इस आयोजन की संयोजिका डॉ. मधु के. श्रीवास्तव, मुख्य ट्रस्टी, एंजेल वेलफेयर ट्रस्ट में अतिथियों का परिचय और स्वागत संबोधन किया। सामाजिक कार्यकर्ता, एवं सनातन संस्कृति के प्रति समर्पित श्रीमती सरिता शर्मा और उनके साथी- प्रह्लाद सिंह, पूनम शर्मा, संगीता देवी, नीरज जैन, कोकी अनिता शर्मा, जय बल्लभ, मोतीलाल और कोयल जी ने पुष्पहार और अंगवस्त्र के साथ स्वागत किया साथ ही सरिता शर्मा और उनके साथियों ने स्वामी जी की आरती भी उतारी। इस दौरान योग दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालने वाली योग शिक्षिका प्रियंका ढींगरा, और रेखा झा ने अपने विचार रखे और योग संबंधित कुछ टिप्स भी दिए और कुछ अभ्यास भी करवाया। इस आयोजन में सनातन धर्म महासभा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष सपना सेठी, अंजू गोगिया, सौम्या अग्रवाल, वर्षा गौड़, ममता शर्मा, रीना ऑबेरॉय ने भी भाग लिया। संगोष्ठी के संचालक वरिष्ठ मीडिया कर्मी एवं सनातन संस्कृति के संपोषक पार्थसारथि थपलियाल ने संगोष्ठी की आधार भूमि तैयार करते हुए बताया- सनातन संस्कृति में आदि योगी शिव जी को कहा जाता है। योगमाया रचने वाले भगवान कृष्ण योगेश्वर हैं, लेकिन भारत के 6 दर्शनों में से एक योग दर्शन के आचार्य पतंजलि अष्टांगयोग में यम, नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि को मुक्ति का मार्ग बताया। उन्होंने 195 श्लोकों की रचना कर उस योग को बताया जो इह लोक और परलोक को भी सुधारता है।

इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजिका एवं दिग्विजय समाचार पत्रिका की संपादक डॉ. मधु के. श्रीवास्तव ने भारत को योगियों की भूमि बताते हुए कहा भोगवादी संस्कृति ने योग को पीछे कर दिया था। प्रधानमंत्री जी ने जो प्रयास किया उससे योग के प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने कहा योग अपनाइए स्वस्थ हो जाइए। एक स्लोगन को उन्होंने दुहराया योग भगाए रोग।

मुख्य वक्ताओं में भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. कमल टावरी अपनी अत्यधिक व्यस्तता के मध्य इस आयोजन में पधारे। उन्होंने योग के व्यावहारिक पक्ष पर अपनी बात कही। इंद्रियों को नियंत्रित करना अथवा उनका संतुलित उपयोग करना ही योग है। मन इंद्रियों को प्रेरित करनेवाला तत्व है। उन्होंने कहा-मन के हारे हार है मन के जीते जीत। कहे कबीर हरि पाइए मन ही के परतीत।।

संगोष्ठी में योग की महत्ता व्यक्त करते हुए डॉ. ए. जी.अग्रवाल ने योग में शरीर, मन, बुद्धि और अहंकार की चर्चा करते हुए मनुष्य के चार देहों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया हमारा मन बहुत चंचल होता है इसे नियंत्रित करना योग के माध्यम से ही संभव है। मन की चलायमानता को रोकना ही योग है। पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली ने कहा- मुझे सौभाग्य मिला कि प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपथ पर योग दिवस की शुरूआत की थी, मैं उस कार्यक्रम का हिस्सा था। आज प्रधानमंत्री जी अमेरिका में योग प्रदर्शन आयोजित कर योग को और व्यापकता दे रहे हैं। प्रधानमंत्री का अमेरिका जाना योग को चमकाना है। उन्होंने बताया कि 2023 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम है- बसुधैवकुटुम्बकम। पूरी दुनिया एक परिवार है इसलिए परिवार का स्वस्थ रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस विचार ने पूरे विश्व को आकर्षित किया है। योग कोई धार्मिक संस्कार नही है यह मानव विज्ञान है।
मुख्य अतिथि श्री श्री 1008 स्वामी वीरेंद्रानंद ज महाराज ने व्यवहारिक योग की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि व्यक्ति के जीवन में माँ की बड़ी महिमा है। माँ शब्द स्वयं में एक योग है। उन्होंने माँ शब्द को दीर्घ स्वर देते हुए संभागियों का अभ्यास करवाया। उन्होंने बताया कि उनके गुरु स्वामी महेश योगी ने योग को दुनिया के 166 देशों में पहुंचाया। भारत को माता मानने वाले गुरु जी ने इस देश को रामायण में वर्णित “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” जैसा मान दिया। स्वामी जी साथ साथ में तालियों का योग में महत्व भी समझाते रहे और अभ्यास भी करवाते रहे। स्वामी जी ने गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का भी अभ्यास करवाया। स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज ने कहा योग आपकी चेतना को जाग्रत करता है। उस चेतना के जाग्रत होते ही व्यक्ति की दृष्टि समष्टि में बदल जाती है।

कार्यक्रम में शामिल आमंत्रित जनों में सुजाता शर्मा, अशोक शर्मा, पी.एस. चौहान,, देवेंद्र मुतनेजा, वैशाली से पी.के. सिंघल थे। गोष्ठी को सफल बनाने में सुनील गौतम, कॄष्णकुमार श्रीवास्तव, पूनम श्रीवास्तव का योगदान रहा।
अंत में संगोष्ठी में आये सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया श्रीमती पूनम श्रीवास्तव ने।

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