ग्वालियर, भारत तिब्बत सहयोग मंच प्रांत अध्यक्ष मोनिका जैन एडवोकेट ने कहा मातृशक्ति के भीतर असीम धैर्य होता है,
वहां परिवारिक सामाजिक एवं व्यापारिक सभी स्थल पर धैर्य से एवं सफलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम होती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बोध कथाओं के माध्यम से बचपन में हमारे घर के बड़े हमें अनुशासन एवं जिंदगी जीने की सीख सिखाते थे। मैं आग्रह करती हूं कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को प्रत्येक दिन “बोध कथा”जरूर सुनाएं।
बोध कथाएं बचपन से ही छोटे बड़े सब का मन मोह लेने वाली एवं जीवन के लिए एक नई सीख देने वाली कथाएं मानी जाती है इन्हीं कथाओं से हिंदी साहित्य सभा अनेकों वर्षों से ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सभा के माध्यम से बच्चों को अवगत करा रहा है कल बीते दिन ग्वालियर हिंदी साहित्य सभा भवन में इंगित बाल गोष्टी का आयोजन किया गया। जिसमें नन्हे नन्हे बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियां दी, एवं जीवन में कुछ नया सीखने के लिए भी उत्सुकता जताई।
विशिष्ट अतिथि डॉ भारती पुजारी ने बच्चों को प्रोत्साहित किया एवं उन्हें उद्बोधन का अनुशासन सिखाया और समझाया कि जब भी हम उद्बोधन करते हैं तो भले ही हम छोटा लिखें या पढ़ें पर बिना देखें पढ़ें। अतिथि शकुंतला छारी ने राम राम शब्द का बड़ा महत्व बताते हुए,समझाया कि अगर हम एक बार राम-राम बोलते हैं तो हिंदी वर्णमाला के अनुसार उसका जोड़ 108 होता है अध्यक्ष कुमार संजीव जी ने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जो छोटे-छोटे बच्चे आज यहां प्रस्तुति दे रहे हैं ये आने वाले समय में हिंदी साहित्य भवन का भविष्य बनेंगे एवं हमारी हिंदी भाषा एवं साहित्य के लिए आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगे।