सरदारपुर से चुनकर ऐसे बने अशोक गेहलोत सूबे के सरदार

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जयपुर। राजस्थान में अशोक गेहलोत को आम आदमी का नेता और जमीन से जुड़ा राजनेता माना जाता है। रजवाड़े की रियासत में उनका रसूख लंबे समय से कायम है। राजस्थान की एक बार फिर वो कमान संभालने जा रहे हैं। दिल्ली दरबार के नेताओं ने उनके अनुभव, मिलनसारिता और पार्टी की पसंद के आधार पर उनको तरजीह दी है।

अशोक गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को राजस्‍थान के जोधपुर में हुथा था। गेहलोत ने कानून में स्‍नातक और अर्थशास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की है। उनका विवाह 27 नवम्‍बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। उनके परिवार में एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत हैं।

अशोक गेहलोत विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। कांग्रेस की ओर से वह पहली बार 1980 में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। इसके बाद जोधपुर का उन्होंने 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा में प्रतिनिधित्‍व किया।

जोधपुर के सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर वह 1999 में राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍य बने। इसके बाद 12वीं और 13वीं विधानसभा में फिर से वह सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए।

अशोक गेहलोत इंदिरा गांधी से लेकर नरसिम्हाराव तक के मंत्रीमंडल में केंन्‍द्रीय मंत्री रहे। इंदिरा गांधी के मंत्रीमण्‍डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री और खेल उपमंत्री बने।

वहीं राजीव गांधी के मंत्रीमडल में केंन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात वह केंन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री बनाए गए।

अशोक गेहलोत जून, 1989 से नवम्‍बर, 1989 की अल्‍प अवधि के बीच राजस्‍थान सरकार में गृह तथा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियां‍त्रिकी विभाग के मंत्री रहे।

अशोक गेहलोत ने तीसरी बार राजस्थान की कमान संभालने जा रहे हैं। इससे पहले वह 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद एक बार फिर उनको राजस्थान की जनता की सेवा करने का अवसर मिला और 13 दिसंबर 2008 से 8 दिसंबर 2013 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

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