दास के गवर्नर बनने के बाद शुक्रवार को RBI बोर्ड की अहम बैठक

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नई दिल्ली। ऊर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे और शक्तिकांत दास के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर बनने के बाद आरबीआई बोर्ड की आहम बैठक शुक्रवार को होने जा रही है। इसके साथ ही गर्वनर शक्तिकांत दास ने इस बात के साफ संकेत दिए हैं कि वह सभी समस्याओं का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के पक्ष में हैं बैठक में बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की तंगी को लेकर चर्चा हो सकती है। ऊर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा दिए जाने के बाद सरकार ने दास को आरबीआई का नया गवर्नर नियुक्त किया था।  बोर्ड में मौद्रिक नीति बनाने वाले सदस्यों के अलावा, वित्त मंत्रालय और कारोबारी जगत के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। माना जा रहा है कि 18 सदस्यीय इस बोर्ड की बैठक में सरकार के उस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है जिसमें केंद्रीय बैंक की निगरानी की बात कही गई है। इसके साथ ही जिन सरकारी बैंकों के कर्ज देने पर आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत प्रतिबंध लगा रखा है, उसमें ढील दिए जाने को लेकर भी चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि अब तक केंद्रीय बैंक ने तरलता को लेकर सख्त नीति अपनाई है, जिसकी वजह से कमजोर बैंकों के कर्ज देने पर प्रतिबंध लगा हुआ है वहीं नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल सेक्टर को भी बेल आउट देने से मना कर दिया है। मोदी सरकार की कोशिश अगले आम चुनाव तक अर्थव्यवस्था को तेज गति से दौड़ाने की है। हाल ही में जो जीडीपी के डेटा आए हैं, उसने अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर आशंकाओं को पैदा किया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की रफ्तार पिछली तिमाही के 8.2 फीसद से घटकर 7.1 फीसद हो गई। नए गवर्नर कह चुके हैं कि केंद्रीय बैंक की पूरी कोशिश आर्थिक रफ्तार को गति देने की होगी। हालांकि उनका यह बयान पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल के उलट हैं, जिसमें उन्होंने पूरा ध्यान महंगाई को काबू में रखने पर लगाया था। दास की इस टिप्पणी के बाद बॉन्ड बाजार के साथ शेयर बाजार में भी तेजी आई है। बाजार को उम्मीद है कि दास के कार्यकाल में आने वाले दिनों में आरबीआई सख्त मौद्रिक नीति की राह छोड़ते हुए नरम नीति का रुख करेगा। आर्थिक परिस्थितियां भी उसी तरफ इशारा कर रही है। खाने-पीने के सामानों की कीमतों में गिरावट के कारण खुदरा महंगाई दर नवंबर में 2.33 फीसदी रही, जबकि अक्टूबर में यह 3.38 फीसदी और सितंबर में 3.77 फीसदी रही थी। जुलाई 2017 के बाद महंगाई दर का यह सबसे निचला स्तर है। महंगाई दर में गिरावट को देखते हुए आरबीआई की तरफ से आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद बढ़ी है।

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