भोपाल। उत्तरप्रदेश के बाद सपा और बसपा ने मध्यप्रदेश में भी गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मध्यप्रदेश में सपा तीन सीटों पर और बसपा 26 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। मध्यप्रदेश में बालाघाट, टीकमगढ़ और खुजराहो लोकसभा सीट से सपा के प्रत्याशी मैदान में रहेंगे। गठबंधन से पहले ही बसपा ने अभी सतना और मुरैना से अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं और जल्द ही सभी सीटों पर प्रत्याशियों घोषित हो जाएंगे। बसपा ने लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी चयन को लेकर दावेदारों से चर्चा भी की है। बसपा ने 22 फरवरी से अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में संकल्प रैली शुरू की है, जिसमें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम स्वयं गांव-गांव घूम रहे हैं। ये 4 मार्च तक चलेगी। तीन प्रत्याशी घोषित: अभी प्रदेश में 29 लोकसभा में से 26 बीजेपी के पास हैं। गुना, छिंदवाड़ा और झाबुआ सीट कांग्रेस के पास है। पिछले लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते कांग्रेस और दूसरे दलों का वोट बैंक खिसक कर भाजपा के खाते में चला गया था। 54.8 फीसदी वोट बैंक के साथ भाजपा ने 27 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस को महज दो सीट मिली थी। भाजपा को कांग्रेस से 19 फीसदी ज्यादा वोट शेयर हासिल हुए थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 40.1 फ़ीसदी भाजपा का 43.4 फीसदी, बीएसपी का वोट शेयर 5.2 फ़ीसदी था। घट गया बसपा का जनाधार: मध्यप्रदेश की पिछली विधानसभा में बसपा के चार सदस्य जीतकर आए थे, लेकिन 2018 के विस चुनाव में बसपा विधायकों की संख्या मात्र दो ही रह गई और वोट प्रतिशत भी कम हो गया। इस कारण प्रदेश में उसकी सियासी उम्मीदें धराशायी हो गईं। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा को मप्र में कुल 21 लाख 27 हजार 959 (6.29 फीसदी) वोट मिले थे, जबकि विधानसभा में उसे चार सीटें मिली थीं। 12 सीटों पर बसपा प्रत्याशी दूसरे नंबर थे और 18 सीटों पर उसे तीसरा स्थान मिला था। वर्ष 2008 में बसपा को प्रदेश में 22 लाख 52 हजार 988 वोट हासिल हुए थे, जबकि वोटों का प्रतिशत 8.72 प्रतिशत था। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत गिरकर करीब पांच फीसदी ही रह गया।