मोदी की रैली में कुमार विश्वास थामेंगे BJP का हाथ, सोनिया के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को रायबरेली और प्रयागराज में विकास परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे। इसके लिए जहां प्रशासन तैयारियों में जुटा है वहीं कांग्रेस को बड़ा झटका देने के लिए भाजपा भी तैयारियों में जुटी हुई है। भाजपा सूत्रों से खबर है कि आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे और प्रख्यात कवि कुमार विश्वास प्रधानमंत्री के रायबरेली दौरे के दौरान भाजपा में शामिल होंगे और पार्टी उन्हें रायबरेली से संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ उम्मीदवार बनाएगी। कुमार विश्वास ने पिछला लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के टिकट पर अमेठी से लड़ा था जिसमें वह राहुल गांधी से हार गये थे।

कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी के टिकट पर दिल्ली से राज्यसभा जाना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तभी से वह असंतुष्ट चल रहे हैं और पार्टी की गतिविधियों से दूरी बना ली है। भाजपा के कुछ नेता कुमार विश्वास के साथ लंबे समय से संपर्क में थे और इस साल जब उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव हो रहे थे तब भी उन्हें पार्टी के टिकट का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन विश्वास ने तब इंकार कर दिया था। बताया जाता है कि कुमार विश्वास अब चुनाव जीत कर संसद में जाना चाहते हैं और उनके भाजपा में शामिल होने के लिए जो वार्ताएं चल रही थीं वह पूरी हो चुकी हैं।
भाजपा इस बार कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उनके गढ़ों में घेरना चाहती है इसीलिए स्मृति ईरानी अमेठी में हारने के बाद से सक्रिय हैं और वहां के विकास में रुचि लेती रही हैं। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली भी अपनी सांसद निधि अमेठी और रायबरेली में खर्च कर रहे हैं। अब कुमार विश्वास को रायबरेली से उतार कर भाजपा यहां के मुकाबले को रोचक बनाना चाहती है। हालांकि भाजपा ने रायबरेली से पहले दिनेश सिंह के नाम पर भी विचार किया था जोकि गांधी परिवार के करीबी रहे हैं और वर्तमान में एमएलसी हैं। दिनेश सिंह अब भाजपा के साथ हैं और कहते हैं कि मैं वर्षों तक कांग्रेस का सिपाही रहा लेकिन यहां गांधी परिवार के अलावा किसी और को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी मुझे 2019 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार बनाती है तो मैं इसके लिए तैयार हूँ। रायबरेली के सामाजिक समीकरणों की बात की जाये तो यहां ब्राह्मण और ओबीसी मतदाता बराबर संख्या में हैं।

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