हिंदी अकादमी द्वारा गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में कवि सम्मेलन का आयोजन

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हिंदी  अकादमी दिल्ली द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक महत्व के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन टाउन हॉल पार्क, चाँदनी चौक, दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री सौरभ भारद्वाज मुख्य अतिथि के अतिरिक्त अनेक गणमान्य व्यक्ति और काव्य-प्रेमी श्रोता उपस्थित थे।

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ. कीर्ति काले के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन का प्रारम्भ रश्मि शाक्य द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना *अज्ञान कर्तनी ज्ञान वर्द्धनी जयती माँ वागेश्वरी* से हुआ।


कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा द्वारा की गई। पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर ने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए अपने काव्य-पाठ में पढ़ा: *गूंजे गगन में महके पवन में हर एक मन में सदभावना* नोएडा से पधारे कवि अमित पुरी ने कविता में संवेदना तत्त्व को रेखांकित करते हुए पढ़ा: *तुमको क्या इल्म है, ये कैसे हुनर आता है/दर्द के बाद ही ग़ज़लों में असर आता है।* डॉ. (कर्नल) वी.पी. सिंह ने देशभक्ति को समर्पित अपनी रचना में पढ़ा: *मुश्किलों से रोज़ टकराता रहा/सरहदों के दर्द सहलाता रहा/रंग वर्दी का चढ़ा कुछ इस तरह/उम्र भर बस देश को गाता रहा।* सिकन्दराराऊ, हाथरस से पधारे प्रसिद्ध गीतकार डॉ. विष्णु सक्सेना ने कृतज्ञता के महत्त्व पर बल देते हुए अपनी काव्य-प्रस्तुति में पढ़ा: *आसमाँ छू अगर लो अगर तुम तो फूल मत जाना/ये हिंडोला ग़ुरूर का है झूल मत जाना/करो भला जो किसी का तो याद मत रखना/करे तुम्हारा भला उसको भूल मत जाना।* जाने-माने शायर दीक्षित दनकौरी ने अवसर देखकर अपना मुखौटा बदलने वाले लोगों को केंद्र में रखते हुए पढ़ा: *इतनी नफ़रत यार कहाँ से लाते हो/लफ़्ज़ों में अंगार कहाँ से लाते हो/कल जो थे तुम आज नहीं हो कल कुछ और/रोज़ नए किरदार कहाँ से लाते हो।* सूरज राय ‘सूरज’ ने ग़रीबी और बेबसी को कुछ अंदाज़ में कहा: *नींद की बंदिशों में आँख कहाँ जगती है/ज़िन्दगी बर्फ़ है कभी, कभी सुलगती/बेबसी मुफ़लिसी ग़म दर्द ज़िल्लतें आँसू/इतने कपड़ों में भला ठंड कहाँ लगती है।* कवि सम्मेलन की संचालिका डॉ. कीर्ति काले ने अपने काव्य-पाठ में माता-पिता को सर्वोपरि रखते हुए कहा: *अयोध्या में अगर ढूंढोगे तो श्रीराम मिलते हैं/जो वृंदावन में ढूंढोगे तो फिर घनश्याम मिलते हैं/अगर काशी में ढूंढोगे तो भोलेनाथ मिल जाएं/मगर माँ बाप के चरणों में चारों धाम मिलते हैं।*
कवि सम्मेलन में देश के कोने-कोने से पधारे चर्चित कवियों ने अपने काव्य-पाठ में राष्ट्र के नव में निर्माण में सहयोग देने का आहवान किया।
कार्यक्रम के अंत में हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव संजय कुमार गर्ग ने सभी अतिथियों, कवियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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