परंपराओं का उत्सव है करवा चौथ, ऐसे मनाया जाता है देश के अलग-अलग हिस्सों में

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उत्तर भारत में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विवाहित महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। करवा-चौथ खासतौर पर पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है। साथ ही मध्यप्रदेश में भी इसे पूरी परंपरा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ रहने के साथ ही अगले सात जन्मों तक उसी पति की कामना के साथ ये व्रत किया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाए जाने वाले इस त्योहार में एक-सी ही परंपराओं का निर्वहन होता है।

सरगी

करवाचौथ का संबंध यूं भी विवाह से हुआ करता है। विवाहित स्त्री, नवविवाहिता या फिर विवाह की तैयारी करती लड़कियां ये व्रत करती हैं। इस व्रत की तैयारियां यूं तो कई दिनों पहले से होने लगती है।

मगर त्योहार की शुरुआत एक शाम पहले से ही हो जाती है। यदि वो लड़की जिसकी शादी होने वाली है, वो व्रत कर रही है तो एक शाम पहले ही उसके ससुराल से सास की तरफ से सरगी भेजी जाती है। उसी तरह विवाहित स्त्री को करवाचौथ वाले दिन सुबह सास की तरफ से सरगी दी जाती है।

एक बास्केट में पारंपरिक व्यंजन, फल, सूखे मेवे और मिठाई हुआ करती है, जिसे व्रत करने वाली स्त्री करवाचौथ की सुबह सूर्योदय से पहले खाती हैं, ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।

ये लड़की की मां की तरफ से लड़की के ससुराल भेजे जाने वाली सामग्री है। इसमें पैसे, कपड़े, मिठाई और फल हुआ करता है। इसमें लड़की के ससुराल के सदस्यों के साथ-साथ खुद लड़की के लिए भी कपड़े और गहने हुआ करते हैं, जो करवाचौथ की पूजा पर वो पहनती हैं।

पूजा

पूजा करवाचौथ का अहम हिस्सा हुआ करता है। करवाचौथ करने वाली आस-पास की महिलाएं और लड़कियां साथ-साथ करती हैं। इसके लिए पूजा-स्थल को खड़िया मिट्टी से सजाया जाता है और पार्वती की प्रतिमा की भी स्थापना की जाती है। पारंपरिक तौर पर पूजा की जाती है और करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है।

व्रत खोलना

करवाचौथ का व्रत चांद देखकर खोला जाता है, उस मौके पर पति भी साथ होता है। दीए जलाकर पूजा की शुरुआत की जाती है। थाली को सजाकर चांद को अर्ध्य दिया जाता है। फिर पति के हाथों से मीठा पानी पीकर दिन भर का व्रत खोला जाता है। उसके बाद परिवार सहित खाना होता है।

असल में चाहे करवा चौथ पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ किया जाए लेकिन इसके साथ ही इसका संबंध्ा परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मनाने वाला उत्सव है।

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